आसमां पर ग़ुबार क्यों है आज
दिल मेरा बेक़रार क्यों है आज
हर जगह से धुँआँ सा उठता है
कुछ न कुछ तो कहीं हुआ है आज
है ख़बर गरम आसमानों में
कोई बन बैठा हुकमराँ है आज
कैसा ऊँट और कौन सी करवट
हम भी इन्तज़ार में हैं आज
शािदयाने कहीं, कहीं मातम
िकतने चेहरे हैं इस शहर के आज
इक तरफ़ है जुलूस फ़ातेह का
इक तरफ़ रो रही है बेवा आज
िकस का घर आएगा ज़द में
आग से मन रही हैं ख़ुशियाँ आज
जो न कर पारहे हैं काम अपना
रोज़ी मारी गई है उनकी आज
कहते हैं ख़ुशियाँ ख़्वाब लाती हैं
ख़्वाब में देखते हैं रोटी आज
आफ़रीन ऐसे हुक्मरानों पर
िजनके होते नसीब हेटा आज
ऐ ख़ुदा उसको इतना दिखलादेकल िमलेगा वही जो बोया आज !
Category: Shayri-E-Ishq
कोई सवाल नही करूगी
क्योंकि तेरे सारे जवाब जानती हू
इसलिये कोई सवाल नही करूगी।
बसता है मेरा सनम
मुझमे रूह बन बसता है मेरा सनम…
ऐसे ही नही धड़कने धड़कती मेरी…!!
यूँ ही शौक़ है
यूँ ही शौक़ है हमारा तो शायरी करना
किसी की दुखती रग छू लूँ तो यारों माफ़ करना
सबक सीख लिए
सिखा न सकी ,…
जो उम्र भर तमाम किताबें मुझे ,…
फिर करीब से कुछ चेहरे पढ़े ,…
और न जाने कितने सबक सीख लिए ,…
काश तुम भी
काश तुम भी हो जाओ
तुम्हारी यादों की तरह..
ना वक़्त देखो, ना बहाना, बस चले आओ…!!
यूँ ही शौक़ है
यूँ ही शौक़ है हमारा तो शायरी करना
किसी की दुखती रग छू लूँ तो यारों माफ़ करना
घर जलाया मेरा
इससे बढ़कर और क्या दूं अपनी मुहब्बत का सबूत,
जिसने घर जलाया मेरा, उसके खत तक न जला सका ।
किसको मालूम था
तुम ना तो मौसम थे , ना किस्मत , ना तारीख ,
ना दिन ….
किसको मालूम था इस कदर बदल जाओगे !
मोहब्बत का मज़ा
मोहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में है । जो हो मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना ।