आशिकों ने ही

आशिकों ने ही दिया है तुझको ये मुकाम गज़ब का,
वरना ऐ इश्क तेरी दो कौड़ी की औकात नहीं…!

जलेबी की तरह

जब जलेबी की तरह उलझ ही रही है तू ऐ जिंदगी,…
..तो फिर क्यों न तुझे चाशनी मे डुबाकर मजा ले ही लिया जाए

सूकून इस बात का

बच्चे झगड़ रहे थे मोहल्ले के जाने किस बात पर,

सूकून इस बात का था न मंदिर का ज़िक्र था न मस्जिद का

जिदंगी में कभी

जिदंगी में कभी किसी बुरे दिन से रूबरू हो जाओ,

तो इतना हौंसला जरुर रखना की दिन बुरा था जिंदगी नहीं…!!!