कभी डूबे हुओं को हमने
बिठाया था अपनी कश्ती पर
आज फिर हम को ही बोझ कहकर कश्ती से
उतारा गया.!!
Category: Shayri-E-Ishq
यहाँ जो गुनहगार नही
किसके लिए जन्नत
बनाई तूने,
ऐ खुदा कौन है यहाँ
जो गुनहगार नही..!!
ना छेड़ किस्सा
ना छेड़ किस्सा वोह उल्फत का बड़ी लम्बी कहानी है
मैं जिन्दगी से नहीं हारा किसी अपने की मेहरबानी है
मुद्दत हो गयी
मुद्दत हो गयी,कोई शख्स तो अब ऐसा मिले…
बाहर से जो दिखता हो,अन्दर भी वैसा मिले…!!
शाम से उन के
शाम से उन के तसव्वुर का नशा था इतना…….
नींद आई है तो आँखों ने बुरा माना है……..
दो घूंटो में ही थी
गिलास में पड़ी,
शराब के दो घूंटो में ही थी ज़िन्दगी
और हम ज़िन्दगी को कहाँ कहाँ ढूंढते रहे…
उसी का इंतजार
किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों है?
जो नहीं मिल सकता उसी से मुहब्बत क्यों है?
कितने खायें है धोखे इन राहों में!
फिर भी दिल को उसी का इंतजार क्यों है?
सबक सीखाता है
हमारे तजूँबे हमें , ये भी सबक सीखाता है,
की जो मख्खन लगाता है, वो ही चुना लगाता है
ख्याल दिल से
जब कोई ख्याल दिल से टकराता है!
दिल न चाह कर भी, खामोश रह जाता है!
कोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता है!
कोई कुछ न कहकर भी, सब बोल जाता है!
ख्याल दिल से
जब कोई ख्याल दिल से टकराता है!
दिल न चाह कर भी, खामोश रह जाता है!
कोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता है!
कोई कुछ न कहकर भी, सब बोल जाता है!