कुछ पल यूं ही बीत गये तसव्वुर में तेरे,
कब हसीनाएं अंकल कहने लगी पता ना चला
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कुछ पल यूं ही बीत गये तसव्वुर में तेरे,
कब हसीनाएं अंकल कहने लगी पता ना चला
दिल की ना सुन ये फ़कीर कर देगा ,.,
वो जो उदास बैठे हैं ,नवाब थे कभी
बिल्कुल जुदा है मेरे महबूब की सादगी का अंदाज,
नजरे भी मुझ पर है और नफरत भी मुझ ही से…
सूखे पत्तो सी थी जिंदगानी हमारी
.
लोगो ने समेटा भी तो जलाने के लिए
है दफ़न मुझमे कितनी रौनके मत पूछ ऐ दोस्त…..
हर बार उजड़ के भी बस्ता रहा वो शहर हूँ मैं!
मेरी रूह को छू लेने के लिए बस कुछ लफ़्ज़ ही काफ़ी हैं……
कह दो बस इतना कि तेरे साथ जीना अभी बाक़ी है…!
अजब पहेलियाँ हैं मेरे हाथों की इन लकीरों में…
सफर तो लिखा हैं मगर मंजिलों का निशान नहीं ….!!!
गिरना ही था तुमको तो सौ मुकाम थे,
ये क्या किया के नज़रो से ही गिर गयी ?
मौसम बहुत सर्द है
चल ए दोस्त …
गलतफहमियो को..
आग लगाते है
तलाश दिल की आज भी अधूरी है…,
जीने के लिए साँसों से ज्यादा आज भी तू जरूरी है…!