आज हम हैं, कल हमारी यादें होंगी.
जब हम ना होंगे, तब हमारी बातें होंगी.
कभी पलटो गे जिंदगी के ये पन्ने,
तो शायद आप की आँखों से भी बरसातें होंगी.
Category: Shayri-E-Ishq
जुबां की खामोशी
जुबां की खामोशी पर मत जाओ,
राख के नीचे हमेशा आग दबी होती है।
एक बच्चा खुश हुआ
एक बच्चा खुश हुआ खरीद कर गुब्बारा,
दुसरा बच्चा खुश हुआ बेच कर गुब्बारा।
जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं
जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं, अपना “गांव” छोड़ने को !!
वरना कौन अपनी गली में, जीना नहीं चाहता ।।
निगाहों से छुप कर
निगाहों से छुप कर कहाँ जाइएगा
जहाँ जाइएगा, हमें पाइएगा
मिटा कर हमें आप पछताइएगा
कमी कोई महसूस फ़र्माइएगा
नहीं खेल नासेह! जुनूँ की हक़ीक़त
समझ लीजिए तो समझाइएगा
कहीं चुप रही है ज़बाने-मोहब्बत
न फ़र्माइएगा तो फ़र्माइएगा
शायरों की बस्ती में
शायरों की बस्ती में कदम रखा तो जाना ।
गमों की महफिल भी कितने खुशी से जमती है ।।
हमारे पाँव का कांटा
ना हमसफ़र ना किसी हमनशीं से निकलेगा,
हमारे पाँव का कांटा हमीं से निकलेगा…
बरबाद कर देती है
बरबाद कर देती है मोहब्बत हर मोहब्बत करने वाले को क्यूकि इश्क़ हार नही मानता और दिल बात नही मानता..!!
समझदार ही करते है
समझदार ही करते है अक्सर गलतिया,
कभी देखा है किसी पागल को मोहब्बत करते..!!
मैं इसे इनाम समझूँ
मैं इसे इनाम समझूँ या सजा का नाम दूँ ,
उंगलियाँ कटते ही तोहफे में अंगूठी मिल गयी …