उसकी गली का सफर आज भी याद है मुझे साहेबान
मैं कोई वैज्ञानिक नही था पर मेरी “खोज” लाजवाब थी..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उसकी गली का सफर आज भी याद है मुझे साहेबान
मैं कोई वैज्ञानिक नही था पर मेरी “खोज” लाजवाब थी..
मैं तो रोज़ ही
दुआ करता हूँ; हर लम्हा तेरे लिए तुम भी क्यूँ नहीं
किसी एक रोज़; फ़ातिहा पढ़ लेते मेरे लिए !
तेरी आवाज़ आज भी मेरे कानों में गूंजा करती है,
वो तेरा एक बार का कहना “तुम सिर्फ मेरे हो ”..!!
ख़त की ख़ुश्बू बता रही थी,
लिखते हुए उसके जुल्फे खुली थी..!!
किसी को याद करने की वजह नहीं होती हर बार…
जो सुकून देते हैं वो,जहन में ही जिया करते हैं |
तूफान भी आना जरुरी है जिंदगी में…तब जा कर पता चलता है की…
कौन हाथ छुड़ा कर भागता है…और कौन हाथ पकड़ कर….
खामोशियाँ कत्ल कर रही है कुछ रिश्तों को…
चलो आज मिलकर उन रिश्तो को दफ़न कर दे…
तेरे बिना मैं मुकम्मल तो नहीं,
फिर भी जाने दे रहा हूँ तुम्हें ,
वक़्त की तरह …
ये दिल जो तेरे दर्द से आशना हो गया है,
अब इस दर्द को हम तेरी मेहरबानी लिखते हैं …
यहां है हर एक अब ज़ात पांत का कैदी।
दिखे है बच्चा बूढ़ा औ जवान पिंजरे में।