मिट गई बर्बाद-ए-दिल की शिकायत दोस्तों…!
अब गुलिस्ताँ रख दिया है मै ने वीराने का नाम
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मिट गई बर्बाद-ए-दिल की शिकायत दोस्तों…!
अब गुलिस्ताँ रख दिया है मै ने वीराने का नाम
लोगों की बातें सुनकर,,मुझे छोड़ जाने वाले…
हम कितने बुरे थे, तुम पता तो कर लेते!
पहचान की नुमाईश जरा कम करो यारों …
जहाँ भी “मैं” लिखा है उसे “हम” करो यारों
तुम आते थे
बहार आती थी
एक एक लम्हा
महका जाती थी
अब तुम जो नही हो
तुम्हारी यादें आती हैं
दिल के ज़ख़्मों को
कुरेद जाती हैं
ठंडी रोटी अक्सर उनके ही नसीब में होती है
जो अपनों के लिए कमाई करके देर से घर लौटते हैं..
मुझ से पत्थर ये कह कह के बचने लगे..
तुम ना संभलोगे ठोकरें खा कर ..
वहाँ तूफान भी हार जाते है…
जहाँ कश्तियाँ ज़िद पे होती है |
कही होकर भी नहीं हूँ, कहीं न होकर भी हूँ।
बड़ी कशमकश में हूँ कि कहाँ हूँ और कहाँ नहीं हूँ।
सारा लहू बदन का,
जमी पर गिरा दिया…!
हम पर कर्ज था वतन
का हमने चुका दिया
भारत माता की जय
गुस्ताखी माफ हो गुस्ताखी ,
क्योंकि हम तुम्हे जिन्दगी कह नही पाते ,
हाँ मगर तुम वो अहसास हो आते ,
जैसे जिन्दगी
तुम्हारे साथ साथ ही हो ,
या जिन्दगी का तुम ही आभास हो !