मस्जिद की मीनारें बोली
मन्दिर के कंगूरों से,,
सम्भव हो तो देश बचा लो मज़हब के लंगूरों से।।
Category: Shayri-E-Ishq
उसकी कत्थई आँखों में
उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सब
चाक़ू-वाक़ू, छुरियाँ-वुरियाँ, ख़ंजर-वंजर सब
जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे-रूठे हैं
चादर-वादर, तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर सब
मुझसे बिछड़ कर वह भी कहाँ अब पहले जैसी है
फीके पड़ गए कपड़े-वपड़े, ज़ेवर-वेवर सब
आखिर मै किस दिन डूबूँगा फ़िक्रें करते है
कश्ती-वश्ती, दरिया-वरिया लंगर-वंगर सब
रोज़ न सोचूँ तो
उस रात से हम ने सोना ही छोड़ दिया
‘यारो’
जिस रात उस ने कहा कि
सुबह आंख खुलते ही हमे भूल जाना..
कोहरे ने गजब सीख दी
आज सुबह के घने कोहरे ने गजब सीख दी,
बहुत दूर तक देखने की कोशिश व्यर्थ है…
एक एक कदम चलते चलो,
रास्ता स्वयं खुलता जाएगा..!
तबियत क्या खराब हुई
ज़रा सी तबियत क्या खराब
हुई बूढ़े बाप की ,
बेटे वकील को बुला लाये….. डाक्टर से पहले।
दिल गवारा नहीं करता है
दिल गवारा नहीं करता है शिकस्त-ए-उम्मीद
हर तग़ाफ़ुल पे नवाज़िश का गुमाँ होता है|
किसी के पास टुटा हुआ दिल
किसी के पास टुटा हुआ दिल है क्या..
आधा मेरे वाला जोड़के एक नया दिल बनाना था… !!
सोचते रहे ये
सोचते रहे ये रातभर. हम करवट बदल बदलकर…
.
जानें क्या बात है तुम में दिल कहीं और लगता ही नहीं.
धीरे-धीरे ही सही
धीरे-धीरे ही सही, उन्हे भी आ गया तज़ुर्बा भूलने का;
काश हमे भी यूँ, भूलने का करिश्मा आ जाए….. !!
सब्र तहज़ीब है
सब्र तहज़ीब है मुहब्बत की
और तुम समझते रहे बेज़ुबान हैं हम