खाली हाथ लेके जब घर जाता हूँ मैं
मुस्कुरा देते हैं बच्चे और फिर से मर जाता हूँ मैं |
Category: Shayri-E-Ishq
ज्यादा तजुर्बा तो नहीं हैं
मुझे ज़िन्दगी जीने का ज्यादा तजुर्बा तो नहीं हैं
पर सुना है लोग सादगी से जीने नहीं देते |
मुझे तालीम दी है
मुझे तालीम दी है मेरी फितरत ने ये बचपन से …
कोई रोये तो आंसू पौंछ देना अपने दामन से
हज़ारों भुला दिए
अभी तक, याद कर रहे हो पागल;
उसने तो तेरे बाद भी, हज़ारों भुला दिए!
अभागे क्षणों की समीक्षा
उन अभागे क्षणों की समीक्षा न हो
आँख जब इक उदासी का घर हो गयी
चुप रहे हम सदा कुछ न बोले कभी
चुप्पियाँ फिर गुनाहों का स्वर हो गयी
न्याय का कब कोई एक आधार है
यातना हर घड़ी
याचना जन्मभर ।
…
देह वनवास को सौंपकर वो चला
चित्त घर की दिशा
शेष जाने किधर ।
मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं
उस को भी हम से मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं…
इश्क़ ही इश्क़ की क़ीमत हो ज़रूरी तो नहीं…..
हमारी कदर नही करते
लोग उस वक्त हमारी कदर
नही करते…
जब हम अकेले होते हैं…
लोग उस वक्त हमारी कदर करते हैं…
जब वो अकेले होते हैं….
इंसान नहीं टूटता
हारने के बाद इंसान नहीं टूटता…..
हारने के बाद लोगों का रवय्या
उसे टूटने पर मज़बुर करता है…
याद आते है वो पल
बहुत याद आते है वो पल जिसमे
आप हमारे और हम तुम्हारे थे |
शेष रहना चाहिये
सार मेरी साधना का शेष रहना चाहिये,
मैं भले ही मिट जाऊँ, मगर मेरा देश रहना चाहिये….