नर्म लफ़्ज़ों से भी लग जाती है चोटें अक्सर,
रिश्ते निभाना बड़ा नाज़ुक सा हुनर होता है
मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं,
पर सुना है सादगी मे लोग जीने नहीं देते।
Category: Shayri-E-Ishq
काश तुम कभी ज़ोर से
काश तुम कभी ज़ोर से गले लगा कर कहो,
डरते क्यों हो पागल तुम्हारी ही तो हूँ…
हम उनकी ज़िन्दगी में
हम उनकी ज़िन्दगी में सदा अंजान से रहे,
और वो हमारे दिल में कितनी शान से रहे..
उसने जी भर के
उसने जी भर के मुझको चाहा था…,
फ़िर हुआ यूँ कि उसका जी भर गया।
मै फिर से
मै फिर से कर लुँगा
मोहब्बत तुमसे……
एक बात तो बताओ इस बार वफा
कितने दिन तक करोगी?
लिहाफ़ ओढ़ के
चलो यादों का लिहाफ़
ओढ़ के सो जाए …
शायद कोई
खूबसूरत ख्वाब
अब भी जिंदा हो …
अगर कुसूर न करता
यह तो नहीं कहता कि इन्साफ ही करो..
झूठी भी तसल्ली हो तो जीता ही रहूँगा..!
जो देखने में
जो देखने में बहुत ही क़रीब लगता था
उसी के बारे में सोचा तो फासला बहुत निकला|
न रहनुमाओं की
न रहनुमाओं की मज्लिस में ले चलो मुझको
मैं बे-अदब हूँ हँसी आ गई तो क्या होगा ?
जिंदगी में बेशक
जिंदगी में बेशक हर मौके का फायदा उठाओ !!
मगर, किसी के भरोसे का फ़ायदा नहीं !!