किसी सूरत से

किसी सूरत से मेरा नाम तेरे साथ जुड़ जाये

इजाज़त हो तो रख लूँ मैं तख़ल्लुस ‘जानेजां ‘अपना

दुख फ़साना नहीं

दुख फ़साना नहीं के तुझसे कहें
दिल भी माना नहीं के तुझसे कहें
आज तक अपनी बेकली का सबब
ख़ुद भी जाना नहीं के तुझसे कहें