किसी सूरत से मेरा नाम तेरे साथ जुड़ जाये
इजाज़त हो तो रख लूँ मैं तख़ल्लुस ‘जानेजां ‘अपना
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
किसी सूरत से मेरा नाम तेरे साथ जुड़ जाये
इजाज़त हो तो रख लूँ मैं तख़ल्लुस ‘जानेजां ‘अपना
हसरतों को फिर से आ जावे न होश,
दिल हमारी मानिये रहिये ख़मोश…
रूप देकर मुझे उसमें किसी शहज़ादे का
अपने बच्चों को कहानी वो सुनाती होगी |
फ़लक़ पर जिस दिन चाँद न हो, आसमाँ पराया लगता है
एक दिन जो घर में ‘माँ’ न हो, तो घर पराया लगता है।
तरीका न आये पसंद हो जाए न खता हमसे अब
तुम ही बता दो वैसे ही करूँगा इश्क तुमसे अब|
मसर्रतों के खजाने तो कम निकलते है…
किसी भी सीने को खोलो तो ग़म निकलते है…
यादों के फूल खिलते रहते हैं वक्त की शाखों पर
कुछ खालीपन रहता है…इन भरी भरी आंखो में…
जिसको तलब हो हमारी , वो लगाये बोली ,
सौदा बुरा नहीं … बस “ हालात ” बुरे है ..!!
गलत कहते है लोग कि संगत का असर होता है,वो बरसो मेरे साथ रही, मगर फिर भी बेवफा निकली..!!
दुख फ़साना नहीं के तुझसे कहें
दिल भी माना नहीं के तुझसे कहें
आज तक अपनी बेकली का सबब
ख़ुद भी जाना नहीं के तुझसे कहें