तूने ही किया था मुझे मोहब्बत की कश्ती में सवार
अब आँखें न फेर, मुझे डूबता भी देख …
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तूने ही किया था मुझे मोहब्बत की कश्ती में सवार
अब आँखें न फेर, मुझे डूबता भी देख …
और कितने इम्तेहान लेगा वक़्त तू
ज़िन्दगी मेरी है फिर मर्ज़ी तेरी क्यों|
मतलब की बात सब समझते हैं लेकिन बात का मतलब कोई नहीं समझता ।
जब मिलोगे किसी और से तो मान जाओगे,
अगर अच्छे नहीं थे तो बुरे भी नहीं थे हम|
बस आज के दिन उनका इंतजार कर लूँ,
इसी सोच में तमाम उम्र गुजार दी मैंने !!
बदन इतना महंगा भी न कर लीजिये हुजूर
रूह तड़प उठे की घर बदलना है..
अंदर से तो कब के मर चुके है हम
ए मौत तू भी आजा, लोग सबूत मांगते है..!!!!
एक ख्वाहिश जली बुझी सी..
फिर खाक हुई आहिस्ता-आहिस्ता..!
ज़िंदगी आगे भाग रही है और वक़्त पीछे छूट जा रहा है,
और साथ ही छूट रहा है हर वो हक़
तुम्हें याद करने का,
तुम्हें सोचने का,
तुम्हें जीने का!
दुनिया चाहती है हम तुम्हें याद न करें,
तुम्हारा नाम न लें,
सही कहते हैं…
आख़िर चाहती तो तुम भी यही थी!”
ये इनायतें ग़ज़ब की ,
ये बला की मेहरबानी,
मेरी ख़ैरियत भी पूछी,
किसी और की ज़ुबानी….