बड़ी मुश्किल से सुलाया है ख़ुद को मैंने,
अपनी आँखों को तेरे ख़्वाब क़ा लालच देकर..
Category: Shayri-E-Ishq
वक्त इशारा देता रहा
वक्त इशारा देता रहा और हम इत्तेफाक़ समझते रहे,
बस यूँ ही धोखे ख़ाते गए और इस्तेमाल होते रहे !!
क्यूँ पूछते हो
क्यूँ पूछते हो सुबह को, मेरी सुर्ख आँखों का सबब…
ग़र इतनी ही फिक्र है, तो सुलाने क्यूँ नहीं आते!!
ये जरूरी नहीं कोई
ये जरूरी नहीं कोई ताल्लुक हो तुझ से !!
सुकून देता है तेरा दिखते रहना भी !!
वो जब अपने हाथो की
वो जब अपने हाथो की लकीरों में मेरा नाम ढूंढ कर थक गये,
सर झुकाकर बोले, लकीरें झूठ बोलती है तुम सिर्फ मेरे हो..
आसान नही है
आसान नही है हमसे यूँ शायिरयों में जीत पाना, हम हर एक शब्द मोहब्बत में हार कर लिखते हैं..
तरीके तो बहुत थे
तरीके तो बहुत थे खुदखुशी के…
ना जाने हम सबने मोहब्बत ही क्यों चुनी…
कुछ दिन से
कुछ दिन से ज़िंदगी मुझे पहचानती नहीं…
यूँ देखती है जैसे मुझे जानती नहीं..
जो हमे समझ ही नहीं सका
जो हमे समझ ही नहीं सका,
उसे हक है हमें बुरा समझने का…
जो हमको जान लेता है,
वो हम पर जान देता है…
दिल तोड़ते हैं
दिल तोड़ते हैं जो दुनिया में किसी का !
कहते हैं क़बूल उनकी इबादतें भी नहीं होती…!