बिकती है ना

बिकती है ना ख़ुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है. लोग गलतफहमी में हैं, कि शायद कहीं मरहम बिकता है..

हम तुझ से

हम तुझ से किस हवस की फ़लक जुस्तुजू करें;

दिल ही नहीं रहा है कि कुछ आरज़ू करें|