वापस आ रही है, फिर वही सर्दियों की उदास शामें…..
फिर तुम बेसबब ,बेहद याद आओेगे…!!
Category: Shayri-E-Ishq
तुमने तो ठुकरा दिया
तुमने तो ठुकरा दिया हाल-ए-गरीबी देखकर
पर हम तो आज भी अनमोल हैं वफ़ा के बाजार में..!!!
वक्त भी कैसी
वक्त भी कैसी पहेली दे गया…उलझने सौ…जान अकेली दे गया…
गिरते हुए आँसुओं को
गिरते हुए आँसुओं को कौन देखता है..
झूठी मुस्कान के दीवाने हैं सब यहाँ।
इसमें कोई शिकवा
इसमें कोई शिकवा न शिकायत न गिला है
ये भी कोई ख़त है के मोहब्बत से भरा है..
आग भी क्या
आग भी क्या अनमोल चीज़ है.
बातों से भी लग जाती है…….
बिकती है ना
बिकती है ना ख़ुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है. लोग गलतफहमी में हैं, कि शायद कहीं मरहम बिकता है..
हम तुझ से
हम तुझ से किस हवस की फ़लक जुस्तुजू करें;
दिल ही नहीं रहा है कि कुछ आरज़ू करें|
ना जाने कब से
ना जाने कब से हो गये इतने शिद्दत-पसंद हम ,
जब तक ज़ख़्म ना मिले .. तसल्ली नहीं होती…।
जिसको जो कहना
जिसको जो कहना है कहने दो अपना क्या जाता है,
ये वक्त-वक्त कि बात है साहब, सबका वक्त आता है..