रह रह के ताजा हो जाते हैं जख्म ,
हवा भी मजाक करती है खिड़कियों के सहारे…
Category: Shayri-E-Ishq
दिल की कीमत
दिल की कीमत तो मुहब्बत के सिवा कुछ ना थी…
जितने भी मिले सूरत के खरीद्दार मिले…
दो कदम चलकर
दो कदम चलकर अक्सर हम रुक जाया करते है ,
क्यों इंतजार रहता है उनका,
जो राह में छोड़कर चले जाया करते है|
अगर देखनी है
अगर देखनी है कयामत तो चले आओ हमारी महफिल मे
सुना है आज की महफिल मे वो बेनकाब आ रहे हैँ|
उसे मिल गए
उसे मिल गए उसकी बराबरी के लोग
मेरी गरीबी मेरी मोहब्बत की कातिल निकली |
तुम हो मुस्कान
तुम हो मुस्कान लबों की….
बाकी ज़िन्दगी खाली-ख़ाली…!!
न कोई फिकर
न कोई फिकर, न कोई चाह
हम तो बड़े बेपरवाह है
उम्र फकीराना गुजरी है
हम तो ऐसे शहंसाह है|
अपनी चाहत के
अपनी चाहत के नाम कर लेना,
कोई उँचा मकाम कर लेना,
अगर किसी मोड़ पर मिलो मुझसे,
एक प्यारा सलाम कर लेना…
कैसे कह दूं
कैसे कह दूं,
कि थक गया हूं मैं…..
जाने किस-किस का,
हौसला हूं मै|
खुद पुकारेगी मंजिल तो
खुद पुकारेगी मंजिल तो ठहर जाऊंगा….!!
वरना मुसाफिर खुद्दार हूं यूँ ही गुजर जाऊंगा….!!