तू छोड़ रहा है तो इसमें तेरी ख़ता क्या हर शख़्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता !!
Category: Shayri-E-Ishq
गम देने की चाहत में
तुम खुद उलझ जाओगे मुझे गम देने की चाहत में,
मुझमें हौसला बहूत है मुस्कुराकर निकल जाऊंगा…!!
ज़िन्दगी तरसती है
कब्रोँ पर यहाँ ताजमहल है….
और एक टूटी छत को ज़िन्दगी तरसती है…….
आईना होजाये
आईना होजाये मेरा इश्क़, उनके हुस्न का ….
क्या मज़ा हो दर्द,अगर खुद ही दवा लेने लगे…
तराजू मोहब्बत का
तराजू मोहब्बत का था
बेवफाई भारी पड गयी|
पूछता हूँ सब से
पूछता हूँ सब से कोई बतलाता नहीं
बेबसी की मौत मरते हैं सुख़न-वर किस लिए
आप ने तीर चलाया
आप ने तीर चलाया तो कोई बात न थी…
ज़ख्म मैंने जो दिखाया तो बुरा मान गए…
इन जज़्बातों पे
इन जज़्बातों पे लम्हो से सबक क्यूँ नही लेते…
पता भी नही चलता उम्र दबे पाँव जाती है…
तुम रख ही ना सकीं
तुम रख ही ना सकीं मेरा तोफहा सम्भालकर
मैंने दी थी तुम्हे,जिस्म से रूह निकालकर
कोई मरहम लगाने वाला
कोई मरहम लगाने वाला नहीं था
… और जख्म जल्दी भर गये ..