तुम सामने बैठी रहो,तुम्हारा हुस्न पिता रहूं,मौत जो आ गयी दरमियाँ,मरकर भी जीता रहूं|
Category: Shayri-E-Ishq
हमे कहां मालूम था
हमे कहां मालूम था कि इश्क होता क्या
है…?
बस….
एक ‘तुम’ मिली और जिन्दगी….
मोहब्बत बन गई|
रात के बाद
रात के बाद सहर होगी मगर किस के लिए
हम ही शायद न रहें रात के ढलते ढलते|
जिन्दगी जीने का मजा
जिन्दगी जीने का मजा तब तक जब तक वो जरा अधूरी रही,
मौका दूसरा हर किसी के मुकद्दर में हो ये जरूरी नहीं।।
अब ये न पूछना की..
अब ये न पूछना की..
ये अल्फ़ाज़ कहाँ सेलाता हूँ,
कुछ चुराता हूँ दर्द दूसरों के,
कुछ अपनी सुनाता हूँ|
वो मेरी न हुई
वो मेरी न हुई तो ईसमेँ हैरत की कोई बात नहीँ क्योँकि शेर से…
दिल लगाये बकरी की ईतनी औकात नही….!!
जाओ तुम किसी और से
जाओ तुम किसी और से इश्क कर लो …
मुझे तो अमीर होने में थोडा वक्त लग जायेगा..
इस ज़मीं पर
इस ज़मीं पर तू खूब गा ले नदी
फिर समंदर में डूब जाना है|
गलती पर साथ छोड़ने वाले तो
गलती पर साथ छोड़ने वाले तो बहुत मिले,
गलती पर समझा कर साथ निभाने वाले की ज़रूरत है |
तेरी नशे वाली आँखों का…
तेरी नशे वाली आँखों का…
बड़ा नाम हैं……
आज नजरों से पिला दोहम तो वैसे भी बदनाम है…….