जिस दम तेरे कूचे से हम आन निकलते हैं,
हर गाम पे दहशत से बे-जान निकलते हैं…
Category: Shayri-E-Ishq
यूँ ना हर बात पर
यूँ ना हर बात पर जान हाजिर कीजिये,
लोग मतलबी हैं कहीं मांग ना बैठे…!!!
सवाल ज़हर का
सवाल ज़हर का नहीं था
वो तो हम पी गए
तकलीफ लोगो को बहुत हुई
की फिर भी हम कैसे जी गए
बदलवा दे मेरे
बदलवा दे मेरे भी नोट ए ग़ालिब,
या वो जगह बता दे, जहां कतार न हो..
हम रोऐ भी …
हम रोऐ भी …..तो वो जान ना सके….
और वो ….उदास भी हुऐ …..तो हमें खबर हो गई
इक चेहरा पड़ा मिला
इक चेहरा पड़ा मिला मुझे, रास्ते पर,
जरूर किरदार बदलते वक्त गिरा होगा
वो बुलंदियाँ भी
वो बुलंदियाँ भी किस काम की जनाब,
जहाँ इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जाये ।
चल चल के थक गया है
चल चल के थक गया है कि मंज़िल नहीं कोई,
क्यूँ वक़्त एक मोड़ पे ठहरा हुआ सा है…
उस रास्ते पर
भीड़ हमेशा उस रास्ते पर चलती है जो रास्ता आसान होता है
लेकिन यह जरुरी नहीं कि भीड़ हमेशा सही रास्ते पर
चले इसलिए आप अपने रास्ते खुद चुनिए
क्योंकि आपको आपसे बेहतर और कोई नहीं जानता..
पिघली हुई हैं
पिघली हुई हैं, गीली चांदनी,
कच्ची रात का सपना आए
थोड़ी सी जागी, थोड़ी सी सोयी,
नींद में कोई अपना आए
नींद में हल्की खुशबुएँ सी घुलने लगती हैं…