उम्र भर ख़्वाबों की मंज़िल का सफ़र जारी रहा,
ज़िंदगी भर तजरबों के ज़ख़्म काम आते रहे…
Category: Shayri-E-Ishq
तुम्हारा साथ भी छूटा
तुम्हारा साथ भी छूटा , तुम अजनबी भी हुए
मगर ज़माना तुम्हें अब भी मुझ में ढूंढता है !!
लफ़्ज़ों से ग़लतफ़हमियाँ
लफ़्ज़ों से ग़लतफ़हमियाँ बढ़ रहीं है
चलो ख़ामोशियों में बात करते हैं.
सच्चा प्यार सिर्फ
सच्चा प्यार सिर्फ वो लोग कर सकते है,
जो किसीका प्यार पाने के लिए तरस चुके हो !!
बिल्कुल जुदा है
बिल्कुल जुदा है मेरे महबूब की सादगी का अंदाज,
नजरे भी मुझ पर है और नफरत भी मुझसे ही !!
मोहब्बत भी ईतनी शीद्दत से
मोहब्बत भी ईतनी शीद्दत से करो की,
वो धोखा देकर भी सोचे की वापस जाऊ तो किस मुंह से जाऊ !!
जब भी हक़ जता कर
जब भी हक़ जता कर देखा,
मुझे हदें बता दीं गईं मेरी !!!
ज्यादा कुछ नहीं
ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र बढने के साथ,
बस बचपन की जिद समझौतों में बदल जाती है…
जिस वक़्त दिल चाहे..
जिस वक़्त दिल चाहे… आप चले आओ
मैं……. कोई चाँद पर नहीं रहता
गले मिलने को
गले मिलने को आपस में दुआयें रोज़ आती हैं,
अभी मस्जिद के दरवाज़े पे माएँ रोज़ आती हैं…