ना जाने कौन मेरे हक में दुआ पढ़ता है
डूबता भी हु तो समन्दर उछाल देता है…
Category: Shayri-E-Ishq
क्या खूब मेरे
क्या खूब मेरे क़त्ल का तरीका उन्होंने इजाद किया
मर जाऊं हिचकियों से, इस कदर उन्होनें हमें याद किया
फिर पलको पे
फिर पलको पे ठहर गई नमी..!!
दिल ने कहा बस”एक तेरी कमी
बस दिलो के
बस दिलो के अल्फाज़ो कलम से उकेर देते है,
लोग मुशायरा समझ,तारीफ़ कर देते है….
कुछ तो मन
कुछ तो मन और आँखों में पलती हैं,
कहानिया सब कहाँ कागजों पे उतारी है!!!
महफील भले ही
महफील भले ही प्यार करने वालो की हो,
उसमे रौनक तो दिल टुटा हुआ शायर ही लाता है..
घुटन सी होने
घुटन सी होने लगी है, इश्क़ जताते हुए,
मैं खुद से रूठ गया हूँ, तुम्हे मनाते हुए.
थका दिया था
थका दिया था दोनों को ही किताबों ने..
एक पढ़कर सो गया..एक बेचकर..!!
किसी भी मुश्किल
किसी भी मुश्किल का अब किसको हल नहीं मिलता,
शायद अब घरसे कोई मां के पैर छूंकर नहीं निकलता….
जीतने हंगामे थे
जीतने हंगामे थे सुखी टहनियों से झड़ गये
पेड़ पर फल भी नहीं आँगन में पत्थर भी नहीं