तेरे ज़िक्र भर से हो जाती है मुलाक़ात जैसे..
तेरे नाम से भी इस क़दर
इश्क़ है मुझ को..!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तेरे ज़िक्र भर से हो जाती है मुलाक़ात जैसे..
तेरे नाम से भी इस क़दर
इश्क़ है मुझ को..!
Ek Ek saans uske liye katlgah thi ,
Uska gunah itna tha ki wo Begunah thi.
मंजिले तो हासिल कर ही
लेगे, कभी किसी रोज,,,
ठोकरे कोई जहर तो नही, जो खाकर मर जाऐगे…..
पानी फेर दो इन पन्नो पर..
ताकि धुल
जाये स्याही..!
ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन
करता है.. कभी कभी..!!!
Kaheen agr lag jaaye dil to..
Kaheen phir dil naa laagy..!
उसकी मुहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब है,
अपना भी नहीं बनाती और किसी का होने भी नहीं देती….!!
?????
जिंदगी बड़ी अजीब सी हो गयी है,
जो मुसाफिर थे वो रास नहीं आये…
जिन्हें चाहा वो साथ नहीं आये।
सिर्फ और सिर्फ तेरे लिए..
..
आज मैं चाँद भी ले आया हूँ तेरे लिए…!
इमारतें बनती हैं रोज़,
हर रोज़…
मजदूरों के दफ्तरों में…
इतवार नहीं होते.
मैं भले ही वो काम नहीं करता जिससे खुदा मिले…
पर वो काम जरूर करता हूँ…जिससे दुआ मिले.’;..