आओ कभी यूँ मेरे पास की आने में लम्हे और
जाने में ज़िन्दगी गुज़र जाये
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आओ कभी यूँ मेरे पास की आने में लम्हे और
जाने में ज़िन्दगी गुज़र जाये
करनी है खुदा से गुजारिश तेरी दोस्ती के सिवा कोई बंदगी न मिले, हर जनम में मिले दोस्त तेरे जैसा या फिर कभी जिंदगी न मिले।
तुम मुझे भूल जाओ ..ये तुम्हारी मर्जी ..
“लेकिन” मैं क्या करूँ ..
मुझे तो भूलना भी नहीं आता !
किस्मत बुरी या मै बुरा फैसला हो ना सका !
मै सबका होता गया कोई मेरा हो ना सका !!
आदते बुरी नही हमारी
बस थोडे शौक उँचे है
वर्ना किसी ख्वाब की इतनी औकात नही,
की हम देखे और वो पूरा ना हो
हम बादशाहो के बादशाह है,
इसलीए गुलामो जैसी हरकते नही,
नोटो पर फोटो हमारा भी हो सकता,
पर लोगो की जेब मे रहना हमारी फीतरत नही
अपनी जीत का इतना गुमान न कर बेखबर,
शहर मे तेरी जीत से ज्यादा मेरी हार के
चर्चे हैं
छोटी छोटी बातें दिल में रखने से
बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं
तेरी नाराजगी वाजिब है… दोस्त,….!
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मैं भी खुद से खुश नहीं आजकल,….!!
Kaha tha na ke zabt karna..
Ab wo aansu samandar ho gya na…!”
बालकनी में आराम कुर्सी पर पड़ा हुआ है एक बोरा तुम्हारी याद से भरा।