मैं फिर से निकलूँगा तलाशने को मेरी जिंदगी में खुशियाँ यारो दुआ करना इस बार किसी से मोहब्बत न हो..!!
Category: Shayari
सूरज ढला तो
सूरज ढला तो कद से ऊँचे हो गए साये.
कभी पैरों से रौंदी थी यहीँ परछाइयां हमने।
आंधी भी कभी
कभी तिनके कभी पत्ते कभी खुंश्बू उडा लाई, हमारे घर तो आंधी भी कभी तनहा नहीं आई
माना के प्यार
माना के प्यार ख़रीदा नहीं जाता दोस्तों, लेकिन उसकी कीमत जरुर चुकानी पड़ती है.
धोखा मिला जब
धोखा मिला जब प्यार में; ज़िंदगी में उदासी छा गयी; सोचा था छोड़ दें इस राह को; कम्बख़त मोहल्ले में दूसरी आ गयी!
Dosto ज़िंदगी में
Dosto ज़िंदगी में बिछड़ गए अगर इतेफ़ाक़ से__
तो हमें देखके नज़रें ना चुरा लेना!
कहीं देखा है आपको शायद__
बस यही कह के हाथ मिला
दर्द से इतना हुआ
खाकसार’ नजात मिल न सकी शामे दर्द से
इतना हुआ कि रस्मे दुआ आ गयी मुझे
तू तो नफ़रत
तू तो नफ़रत भी न कर पाएगा उस शिद्दत के साथ,
जिस बला का प्यार तुझसे बे-ख़बर मैंने किया |
बुरे दिनों में
बुरे दिनों में कर नहीं कभी किसी से आस
परछाई भी साथ दे, जब तक रहे प्रकाश
मोहब्बत केअफसानें
अल्फाज़ों में क्या बयाँ करे अपनी मोहब्बत के
अफसानें
हमारे दिल में तो वो ही वो है, उनके दिल
की खुदा जाने..”