एक फूल अजीब था,
कभी हमारे भी बहुत करीब था,
जब हम चाहने लगे उसे,
तो पता चला वो किसी दूसरे का नसीब था|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
एक फूल अजीब था,
कभी हमारे भी बहुत करीब था,
जब हम चाहने लगे उसे,
तो पता चला वो किसी दूसरे का नसीब था|
आप सो जाइये अब दिल के पुरे सुकून के साथ..
मुझे तो आपके ख्याल इस रात अभी और जगायेंगे..
मुहब्बत मुक़म्मल होती तो ये रोग कौन पालता …
अधूरे आशिक़ ही तो शायर हुआ करते हैं…
बहुत दिनों से
जिन्हें ओढ़ा नहीं है
कल उन रिश्तों
को धूप दिखाने का मन है…
कुछ दरमियाँ नहीं है गर तेरे मेरे तो ये बेचैनियाँ क्यूँ हैं?
लौट आओ कि कुछ रिश्ते बेरुखी से भी नहीं टूटा करते|
फिर कोई जुदा नहीं कर पाएगा हमें…अगली बार आऊंगा मैं तेरे मजहब का बनके…
साथ जब भी छोडना मुस्कुराकर छोडना
ताकि दुनिया ये न समझे हममे दूरी हो गई…
सांस टूटने से तो इंसान एक ही बार मरता है,
पर किसी का साथ टूटने से इंसान पल-पल मरता है !!
मिलने को तो दुनिया में कई चेहरे मिले,
पर तुम सी मोहब्बत तो हम खुद से भी न कर पाये !!
सांस टूटने से तो इंसान एक ही बार मरता है,
पर किसी का साथ टूटने से इंसान पल-पल मरता है !!