ग़लत को हम ग़लत कहते इसी कहने की कोशिश में
सियासत ने अंधेरों में हमारी हर ख़ुशी रख दी ।
Category: Shayari
बड़ी बैचेन सी कटती हैं
कैसे कहूं बड़ी बैचेन सी कटती हैं अब अपनी रातें
ना भी बताऊं तो चादर की सलवटें बयां कर देती हैं..
इश्क कर लीजिए
इश्क कर लीजिए बेइंतहा किताबों से;
एक यही है जो अपनी बातों से पलटा नहीं करती!!
काश तू सुन पाता
काश तू सुन पाता खामोश सिसकियाँ मेरी,,,
आवाज़ कर के रोना तो मुझे आज भी नहीं आता!
कैसे कहूं बड़ी
कैसे कहूं बड़ी बैचेन सी कटती हैं अब अपनी रातें
ना भी बताऊं तो चादर की सलवटें बयां कर देती हैं..
काश तू सुन पाता
काश तू सुन पाता खामोश सिसकियाँ मेरी,,,
आवाज़ कर के रोना तो मुझे आज भी नहीं आता!
तुम्हें भूले पर
तुम्हें भूले पर तेरी यादों को ना भुला पाये;
सारा संसार जीत लिया बस एक तुम से ना हम जीत पाये;
तेरी यादों में ऐसे खो गए हम कि किसी को याद ना कर पाये;
तुमने मुझे किया तनहा इस कदर कि अब तक किसी और के ना हम हो पाये।
मत दिखाओ हमें
मत दिखाओ हमें, तुम ये मुहब्बत का बहीखाता ,
हिसाब-ए-इश्क़ रखना, हम दीवानों को नहीं आता …
कितनी है कातिल ज़िंदगी
कितनी है कातिल ज़िंदगी की ये आरज़ू,
मर जाते हैं किसी पे लोग जीने के लिये।
कीसीने युंही पुछ लिया
कीसीने युंही पुछ लिया की दर्दकी किमत क्या है?
हमने हंसते हुए कहा, पता कुछ अपने मुफ्त में दे जाते है।