कभी कभी धागे

कभी कभी धागे बड़े कमज़ोर चुन लेते है हम !

और फिर पूरी उम्र गाँठ बाँधने में ही निकल जाती है ….!!!

अब मौत से

अब मौत से कह दो कि नाराज़गी खत्म कर ले,
वो बदल गयी है जिसके लिए हम ज़िंदा थे​।

कितना प्यार है

कितना प्यार है तुमसे, वो लफ्ज़ों के सहारे कैसे बताऊँ,
महसूस कर मेरे एहसास को, अब गवाही कहाँ से लाऊँ।