न जाने कब खर्च हो गये, पता ही न चला,
वो लम्हे, जो छुपाकर रखे थे जीने के लिये।
Category: Shayari
मुद्दत के बाद
मुद्दत के बाद उसने जो आवाज दी मुझे…
कदमों की क्या बिसात, साँसें ही थम गयी…!!!
ज़िन्दगी सुन तू यही
ज़िन्दगी सुन तू यही पे रुकना…!!
हम हालात बदल के आते है….
कहाँ सब को आता है
मौत तो सब को आती है,
जीना कहाँ सब को आता है ?
बस वो मुस्कुराहट
बस वो मुस्कुराहट ही कहीं खो गई है,
बाकी तो मैं बहुत खुश हूँ आजकल…
वों आजाद जुल्फें
वों आजाद जुल्फें छू रहीं उनके लबों को…
और हम खफा हो बैठे हवाओं से..
शीशा रहे बगल में
शीशा रहे बगल में, जामे शराब लब पर,
साकी यही जाम है, दो दिन की जिंदगानी का…
ख़ुदकुशी करने वाले
ख़ुदकुशी करने वाले को इक भरम ये है…
जो भी होगा उसके बाद सब अच्छा होगा…!!
अब तो अपनी परछाईं
अब तो अपनी परछाईं भी ये कहने लगी है ,
मैं तेरा साथ दूँगी सिर्फ उजालों में !!
बुझा सका है
बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले…..
ये ऐसी आग है जिस में धुआँ नहीं मिलता…!!