बात हुई थी

बात हुई थी समंदर के किनारे किनारे चलने की

बातों बातों में निगाहों के समंदर में डूब गयी..

दिल की कोरी किताब

दिल की कोरी किताब लाया हूँ, नर्म नाज़ुक गुलाब लाया हूँ ।

तुमने डर-डर के जो लिखे ही नहीं, उन खतों के जवाब लाया हूँ ॥