ज़िंदगी जिनसे हो ख़फ़ा, उनसे रूठ जाती है मौत भी शायद ….
Category: Shayari
उठाना खुद ही पड़ता है
उठाना खुद ही पड़ता है, थका टुटा बदन अपना……
कि जब तक सांस चलती है कोई कांधा नही देता….
रो पड़ा वो शक्स
रो पड़ा वो शक्स आज अलविदा कहते-कहते,
जो कभी मेरी शरारतो पर देता था धमकियाँ जुदाई की !!
कहती है मुझसे
कहती है मुझसे की तेरे साथ रहूँगी सदा,
बहुत प्यार करती है, मुझसे तन्हाई मेरी !!
काश पगली तेरे दिल के
काश पगली तेरे दिल के भी चुनाव होते कम से कम उमीद्दवार बनके तेरे सामने तो खडे होते.!
जिस नजाकत से…
जिस नजाकत से…
ये लहरें मेरे पैरों को छूती हैं..
यकीन नहीं होता…
इन्होने कभी कश्तियाँ डुबोई होंगी…
जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं
जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र,
कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं।
चल ना यार हम फिर से
चल ना यार हम फिर से मिट्टी से खेलते हैं हमारी उम्र क्या थी जो मोहब्बत से खेल बैठे|
अब हमारा जिक्र भी
अब हमारा जिक्र भी तो होना चाहिए
हीर-रांझा की कहानी आखिर कब तक|
कुछ इस कदर बीता है
कुछ इस कदर बीता है मेरे बचपन का सफर दोस्तों
मैने किताबे भी खरीदी तो अपने खिलौने बेचकर