आसमान जो इतना बुलंदी पर इतराता है,
भूल जाता है ज़मीन से ही नज़र आता है।
Category: Shayari
दिन ढले करता हूँ
दिन ढले करता हूँ बूढ़ी हड्डियों से साज़-बाज़……
जब तलक शब ढल नहीं जाती जवाँ रहता हूँ मैं…….
खाली ज़ेब लेकर
खाली ज़ेब लेकर निकलो कभी बाज़ार में जनाब…
वहम दूर हो जायेगा इज्ज़त कमाने का…
खुदखुशी करने से
खुदखुशी करने से मुझे कोई परहेज नही है,
बस शर्त ईतनी है कि फंदा तेरी जुल्फों का हो।
हम दिल के सच्चे
हम दिल के सच्चे कुछ एहसास लिखते हैं,
मामूली शब्दों में ही सही, कुछ खास लिखते हैं।
क्यूँ नहीं हो सकती मोहब्बत
क्यूँ नहीं हो सकती मोहब्बत ज़िंदगी में दोबारा,
बस हौसला चाहिए फिर से बर्बाद होने के लिए।
बिखरने की आदत है
मोतियों को बिखरने की आदत है,
लेकिन धागे की ज़िद है उन्हें पिरोए रखने की।
वो पन्ने आज भी
वो पन्ने आज भी कोरे हैं,जिन पर तुझको लिखना चाहा।
महफूज़ है सीने में. .
महफूज़ है सीने में. . . . और पुख्ता बहुत है,
फिर क्यूँ ज़रा सी बात पे दिल दुखता बहुत है…!!
मैं चुप रहा
मैं चुप रहा और गलतफहमियां बढती गयी,
उसने वो भी सुना जो मैंने कभी कहा ही नहीं…