जी भरकर बदनाम हो

जी भरकर बदनाम हो गए हम, चलो जवानी का हक़ तो अदा हो गया !!

सब कुछ तो

सब कुछ तो है क्या ढूँढती रहती हैं निगाहें, क्या बात है मैं वक़्त पे घर क्यूँ नहीं जाता…

रूह की तलब हो

रूह की तलब हो तुम नहीं रहा जाता तुम बिन…! इसलिए लौट आती हूँ…!

फासलें इस कदर हैं

फासलें इस कदर हैं आजकल रिश्तों में… जैसे कोई घर खरीदा हो किश्तों में…

बड़ा फर्क है

बड़ा फर्क है तेरी और मेरी मोहब्बत में…तू परखता रहा और हमने ज़िंदगी यकीन में गुजार दी…!!

मुझे यक़ीन है

मुझे यक़ीन है मोहब्बत इसी को कहते हैं, के ज़ख्म ताज़ा रहे और निशाँ चला जाये …!!!

यही तय जानकर

यही तय जानकर कूदो, उसूलों की लड़ाई में, कि रातें कुछ न बोलेंगी, चरागों की सफाई में…

बताओ और क्या

बताओ और क्या तब्दील करूं मैं खुद को… कशमकश को कश में बदल दिया मैंने…

इश्क़ हो जायेगा

इश्क़ हो जायेगा मेरे दास्ताँ ए इश्क़ से, रात भर जागा करोगे इस कहानी के लिए।

‎रात‬ भर ‪तारीफ‬

‎रात‬ भर ‪तारीफ‬ करता रहा तेरी ‎चाँद‬ से.. चाँद इतना ‪‎जला‬ कि ‪‎सुबह‬ तक ‪‎सूरज‬ हो गया..

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