करनी है तो दर्द की साझेदारी कर ले, मेरी खुशियों के तो दावेदार बहुत हैँ..
Category: Sad Shayri
ये इंतिज़ार सहर का था
ये इंतिज़ार सहर का था या तुम्हारा था, दिया जलाया भी मैंने दिया बुझाया भी मैंने…
मैं मुसाफ़िर हूँ
मैं मुसाफ़िर हूँ ख़तायें भी हुई होंगी मुझसे, तुम तराज़ू में मग़र मेरे पाँव के छाले रखना..
हवा दुखों की
हवा दुखों की जब आई कभी ख़िज़ाँ की तरह मुझे छुपा लिया मिट्टी ने मेरी माँ की तरह|
बहुत अजीब हैं
बहुत अजीब हैं ये बंदिशें मुहब्बत की, न उसने क़ैद में रखा न हम फ़रार हुए।
क़त्ल तो मेरा
क़त्ल तो मेरा उसकी निगाहों ने ही किया था, पर संविधान ने उन्हें हथियार मानने से इंकार कर दिया !!
वो मुझसे पूछती है
वो मुझसे पूछती है की ख्वाब किस-किस के देखते हो, बेखबर जानती ही नहीं की यादें उसकी सोने कहाँ देती है..
वास्ता नही रखना
वास्ता नही रखना तो फिर … मुझ पे नजर क्यूं रखते हो … मैं किस हाल में जिंदा हूँ … तुम ये खबर क्यूं रखते हो …
हवा से चोट लगती है..
मुहबबत से..इनायत से..वफा से..चोट लगती है.. बिखरता फूल हूँ मुझको हवा से चोट लगती है..
जिसको जो कहना
जिसको जो कहना है कहने दो अपना क्या जाता है, ये वक्त-वक्त कि बात है साहब, सबका वक्त आता है..