पनाह मिल गई रूह को जिस हाथ को छूने भर से….
बस फिर क्या था…
उसी हथेली पर मैंने अपनी हवेली बना ली….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
पनाह मिल गई रूह को जिस हाथ को छूने भर से….
बस फिर क्या था…
उसी हथेली पर मैंने अपनी हवेली बना ली….
आँख खुलते ही याद आ जाता है तेरा चेहरा,
दिन की ये पहली ख़ुशी भी कमाल होती है।
तुम हिदायत से,
अदावत से,
शिकायत से ,सही ,
कम से कम ,
हमसे ,
ताल्लुक़ात रखे रहते हो !
इश्क़ हो जायेगा मेरे दास्ताँ ए इश्क़ से,
रात भर जागा करोगे इस कहानी के लिए।
फ़िक्र करते हो मेरी यही काफी है…|
ज़िक्र करने को तो ये दुनिया बहुत है….||
जिनके चलते थे नाम वो बदनाम हो गए !!
और
जो खाते थे मार वो आज पहलवान हो गए !
लगता है कि इन में कोई नाज़ुक सा है रिश्ता….
जब चोट लगे दिल पे तो भर आती हैं आँखें….
जगत के अँधेरे को …हँसकर पिया है ,
दिये ने.. हमेशा ..दिया ही दिया है…!!
शाख़ से तोड़े गए फूल ने हंस कर ये कहा,
अच्छा होना भी बुरी बात है इस दुनिया में…
कभी मिल सको तो इन पंछियो की तरह बेवजह मिलना,
वजह से मिलने वाले तो न जाने हर रोज़ कितने मिलते है !!