पनाह मिल गई

पनाह मिल गई रूह को जिस हाथ को छूने भर से….

बस फिर क्या था…
उसी हथेली पर मैंने अपनी हवेली बना ली….

लगता है कि

लगता है कि इन में कोई नाज़ुक सा है रिश्ता….

जब चोट लगे दिल पे तो भर आती हैं आँखें….

कभी मिल सको

कभी मिल सको तो इन पंछियो की तरह बेवजह मिलना,
वजह से मिलने वाले तो न जाने हर रोज़ कितने मिलते है !!