कभी बेपनाह बरसी, तो कभी गुम सी हैं…
ये बारिशें भी कुछ कुछ तुम सी हैं…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कभी बेपनाह बरसी, तो कभी गुम सी हैं…
ये बारिशें भी कुछ कुछ तुम सी हैं…
तू जादू हैं तो कोई शक नहीं हैं
मै पागल हूँ तो होना चाहिए था.!
एक तू और एक वक्त,
अफ़सोस की दोनों ही बदल गए
सच बोल-बोल कर यूं दुश्मनी कब तलक..
झूठ बोलना सीख..कुछ दोस्त बना ले
जाता हुआ मौसम लौटकर आया है. ….
काश वो भी कोशिश करके देखे…!!
बस ये कहकर टाँके लगा दिये उस हकीम ने..कि
जो अंदर बिखरा है उसे खुदा भी नहीं समेट सकता..!!
जरा ठहर ऐ जिंदगी तुझे भी सुलझा दूंगा,
पहले उसे तो मना लूं जिसकी वजह से तू उलझी है !!
हम भी मुस्कुराते थे कभी बेपरवाह अंदाज से
देखा है खुद को आज पुरानी तस्वीरों में..!!
दो आँखो में…दो ही आँसू..
एक तेरे लिए,
एक तेरी खातिर..!!
जिन की यादों से रौशन हैं मेरी आँखें
दिल कहता है उनको भी मैं याद आता हूँ