याद आने की वज़ह बहुत अज़ीब है तुम्हारी ….
तुम वो गैर थे जिसे मेने एक पल में अपना माना !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
याद आने की वज़ह बहुत अज़ीब है तुम्हारी ….
तुम वो गैर थे जिसे मेने एक पल में अपना माना !!
हमने तो बेवफा के भी दिल से वफ़ा किया
इसी सादगी को देखकर सबने दगा किया
मेरी टिशनगी तो पी गयी हर जख्म के आँसू
गर्दिश मे आके हमने अपना घर बना लिया
आओ नफरत का किस्सा, दो लाइन में तमाम करें,
दोस्त जहाँ भी मिले, उसे झुक के सलाम करें….
ना कहने से होती है , ना सुनाने से,
ये जब शुरू होती है तो बस मुस्कुराने से….
जिंदगी क्या हैं मत पूछो
सवर गई तो दुल्हन, बिखर गई तो तमाशा हैं !
रिश्ते होते है मोतियों की तरह …
कोई गिर भी जाये तो झुक के उठा लेना चाहिए ।
हमारी वफ़ा पर खाक डालो……
–
तुम बताओ आजकल किसके हो ?
मीठी यादों के साथ गिर रहा था,
पता नहीं क्यों फिर भी मेरा वह आँसु खारा था…
बेहतर बनाने की कोशिश में,
तुझे वक़्त ही नहीं दे पा रहे हम,
माफ़ करना ऐ ज़िंदगी…!
…तुझे जी नहीं पा रहे हम।
आज नहीं तो कल तुझे अहसास हो ही जायेगा
के नसीब वालों को मिलते है फिकर करने वाले|