हम न समझे थे बात इतनी सी ,
ख्वाब शीशे के दुनिया पत्थर की…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हम न समझे थे बात इतनी सी ,
ख्वाब शीशे के दुनिया पत्थर की…
चलो इश्क़ में कुछ यु अंदाज़ अपनाते हैं
तुम आँखें बंद करो हम तुम्हे सीने से लगाते हैं|
देख के दुनिया को हम भी बदलेंगे अपने मिज़ाज ए ज़िन्दगी ….
..राब्ता सबसे होगा वास्ता किसी से नहीं|
जुनून, हौसला और जिद वही है….
मैंने जीने का तरीका बदला है….तेवर नहीं…
ऐ जिन्दगी तेरे जज्बे
को सलाम…
मंजिल पता है के मौत है
फिर भी दौड रही है….।।
जाने किस किस को लूटा है इस चोर ने मसीहा बनकर,
के आओ
सब मिलकर इश्क पे मुकदमा कर दें….
नाराजगी चाहे कितनी भी क्यो न हो तुमसे
तुम्हें छोड़ देने का ख्याल हम आज भी नही रखते |
एक मैं हूँ , किया ना कभी सवाल कोई, एक तुम हो , जिसका कोई नहीं जवाब…
फलसफा सीखना है ज़िंदगी का उन परिंदों से,
जो कूड़े में पड़ा गेंहू का दाना ढूंढ लेते हैं।।
कौन कहता है ,आंसुओं में वजन नहीं होता l
एक आंसू भी छलक जाता है तो मन हल्का हो जाता l