कुछ ऐसी भी

कुछ ऐसी भी गुज़री हैं तेरे हिज्र में रातें
दिल दर्द से ख़ाली हो मगर नींद न आए

उसको मालूम कहाँ

उसको मालूम कहाँ होगा, क्या ख़बर होगी,
वो मेरे दिल के टूटने से बेख़बर होगी,
वक़्त बीतेगा तो ये घाव भर भी जाएँगे,
पर ये थोड़ी सी तो तकलीफ़ उम्र भर होगी…

उस रास्ते पर

भीड़ हमेशा उस रास्ते पर चलती है जो रास्ता आसान होता है

लेकिन यह जरुरी नहीं कि भीड़ हमेशा सही रास्ते पर

चले इसलिए आप अपने रास्ते खुद चुनिए
क्योंकि आपको आपसे बेहतर और कोई नहीं जानता..