बिन धागे की सुई सी है ये ज़िंदगी….. सिलती कुछ नहीं, बस
चुभती जा रही है.
Category: Sad Shayri
दोनों को लुत्फ़ आता रहा
बहस में दोनों को लुत्फ़ आता रहा,,,
मुझ को दिल,मैं दिल को समझाता रहा…
मैं कौन था
मैं कौन था पहले कोई पहचानता न था..,
तुम क्या मिले,ज़माने में मशहूर हो गया ।
इश्क़ बुझ चुका है ।
इश्क़ बुझ चुका है ।
क्यूंकि हम ज़ल चुके हैं ।।
आरज़ू थी तुम्हारी
आरज़ू थी तुम्हारी तलब बनने की !!
मलाल ये कि तुम्हारी लत लग गयी !!
तुम्हारे होते हुए भी
तुम्हारे होते हुए भी हम तनहा है,
इससे बढ़कर क्या सबूत होगा तुम्हारी बेरुखी का !!
सादगी हो लफ़्ज़ों में…
सादगी हो लफ़्ज़ों में…तो यक़ीन मानिये…
इज़्ज़त बेपनाह और दोस्त बेमिसाल मिल जाते हैं….
बहोत बोलने वाले
बहोत बोलने वाले जब अचानक खामोश हो जाये,
तो उनकी खामोशी से सुकून नहीं खौफ आता है !!
क्यो ना गुरूर करू
क्यो ना गुरूर करू मै अपने आप पे….
मुझे उसने चाहा जिसके चाहने वाले हजारो थे!
सुना है सब
सुना है सब कुछ मिल जाता है दुआ से,
मिलते हो ख़ुद… या मांगू ख़ुदा से ।।