चल ना यार हम फिर से मिट्टी से खेलते है,हमारी उम्र क्या थी जो मोहब्बत से खेल बैठे !!
Category: Sad Shayri
वो लाख बेवफा सही
वो लाख बेवफा सही पर ये बात सच हैं..यारो,में आज जो भी मोहब्बत सीखा हूँ वो बस उसकी मेहरबानीया है..
समझदार ही करते है
समझदार ही करते है अक्सर गलतिया,
कभी देखा है किसी पागल को मोहब्बत करते..!!
ना थी मेरी तमन्ना
ना थी मेरी तमन्ना कभी तेरे बगैर रहने की लेकिन,
मज़बूर को, मज़बूर की, मज़बूरियां, मज़बूर कर देती हैं…।।
तारीफ़ अपने आप की
तारीफ़ अपने आप की, करना फ़िज़ूल है….!
ख़ुशबू तो ख़ुद ही बता देती है, की वो कौन सा फ़ूल है……!!
इस जहां में
इस जहां में कब किसी का दर्द अपनाते हैं लोग ,
रुख हवा का देख कर अक्सर बदल जाते हैं लोग|
मुसीबतों से निखरती हैं
मुसीबतों से निखरती हैं शख्सियतें यारों…….
जो चट्टानों से न उलझे वो झरना किस काम का…….
पता नहीं क्यूँ
पता नहीं क्यूँ कभी कभी लगता है,
बचपन के दिन सिर्फ पचपन ही थे !!
यूँ ही नहीं होती
यूँ ही नहीं होती, जनाज़ों में भीड़ साहब…!!
हर शख्स अच्छा है, बस दुनिया से चले जाने के बाद…!!
है याद मुलाकत की वो शाम..
है याद मुलाकत की वो शाम…
अभी तक…
तुझे भूलने में हूँ नाकाम अभी तक|