ना थी मेरी तमन्ना

ना थी मेरी तमन्ना कभी तेरे बगैर रहने की लेकिन,
मज़बूर को, मज़बूर की, मज़बूरियां, मज़बूर कर देती हैं…।।

इस जहां में

इस जहां में कब किसी का दर्द अपनाते हैं लोग ,

रुख हवा का देख कर अक्सर बदल जाते हैं लोग|