कभी फूर्सत मिली तो तेरी ज़ूल्फ भी सूलझाउंगा
आज ऊलझा हूवा हूं हालात को सूलझाने मे
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कभी फूर्सत मिली तो तेरी ज़ूल्फ भी सूलझाउंगा
आज ऊलझा हूवा हूं हालात को सूलझाने मे
मेरी मोहब्बत में न थी वो आग जो तुझे जला सके,
और तेरी मोहब्बत में मैं इतना जला की लोग मेरी राख भी ना उठा सके।।
दिल में आया था कोई,
जल्दी में था सो चला गया।।
बहुत नज़दीक आते जा रहे हो,
बिछड़ने का इरादा कर लिया है क्या।।
मुझसे हर बार नजरें चुरा लेता है वो
मैंने कागज पर भी बना कर देखी है आँखें उसकी
मैं तुझसे अब कुछ नहीं मांगता ऐ ख़ुदा,
तेरी देकर छीन लेने की आदत मुझे मंज़ूर नहीं।।
तुम आओ और कभी दस्तक दो इस दिल पर,..!! प्यार उम्मीद से कम निकले तो सज़ा-ऐ-मौत दे देना…!!
हमारा क़त्ल करने की उनकी साजिश तो देखो,
गुज़रे जब करीब से तो चेहरे से पर्दा हटा लिया !!
उम्र भर उठाया बोझ उस कील ने…
और लोग तारीफ़ तस्वीर की करते रहे….
हर कोई तेरे आशियाने का पता पूछता है,
न जाने किस किस से वफा के वादे किये है तूने !!