रात ढलने लगी है बदन थकान से चूर है….
ऐ ख़याल-ए-यार तरस खा सोने दे मुझे…..
Category: Sad Shayri
तेरा इश्क जैसे
तेरा इश्क जैसे प्याज था शायद।
परते खुलती गयी आँसू निकलते गये॥
जिस शहर में
जिस शहर में तुम्हे मकान कम और शमशान ज्यादा मिले…
समझ लेना वहा किसी ने हम से आँख मिलाने की गलती की थी….!!
तुम वादा करो
तुम वादा करो आखरी दीदार करने आओगे, हम मौत को भी इंतजार करवाएँगे तेरी ख़ातिर,
इश्क़ का क्या हुआ
इश्क़ का क्या हुआ है, असर देखें;
आप ही आप हैं, अब जिधर देखें!
अजीब रंगो में
अजीब रंगो में गुजरी है मेरी जिंदगी। दिलों पर राज़ किया पर मोहब्बत को तरस गए।
निकली थी बिना नकाब
निकली थी बिना नकाब आज वो घर से मौसम का दिल मचला लोगोँ ने भूकम्प कह दिया|
मुस्कुराना सीखना पड़ता है …
मुस्कुराना सीखना पड़ता है …!रोना तो पैदा होते ही विरासत में मिल गया था….
वो मंजर भी
वो मंजर भी मोहब्बत का बडा दिलकश गुजरा,
किसी ने हाल पुछा और आँखें भर आई !!
खुदा से मिलती है
खुदा से मिलती है सूरत मेरे महबूब की,
अपनी तो मोहब्बत भी हो जाती है और इबादत भी|