किसी से किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है
आप स्वयं में जैसे हैं एकदम सही हैं. खुद को स्वीकारिये|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
किसी से किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है
आप स्वयं में जैसे हैं एकदम सही हैं. खुद को स्वीकारिये|
हज़ारों ना-मुकम्मल हसरतों के बोझ तले,
ऐ दिल, तेरी गजब हिम्मत है जो तू धड़कता है..
जिस्म में दर्द का बहाना सा बनाकर..
हम टूटकर रोते हैं तेरी याद में अक्सर..
पलट कर न आ जाये फ़िर सांस नब्ज़ों में..
इतने हसीन हाथो से मय्यत सजा रहा है कोई..
सवाल सिर्फ़ नींद का होता तो,कोई बात ना थी…
हमारे सामने मसला तो तुम्हारे,ख़्वाब का भी था …!
Teri aankhon mein aansu they meri khatir,
Woh ek lamha mujhy zindagi se pyara laga..
Likhna to tha ke hum khush hai uske bina
Magar aansu nikal pade kalam uthhane se pehle
वो बोलते रहे हम सुनते रहे,
जवाब आँखों में था वो जुबान में ढूंढते रहे|
एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम
और आज कई बार
बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है…
और कुछ भी दरकार नहीँ मुझे तुझसे मौला,
मेरी चादर मेरे पैरों के बराबर कर दे..!!