किसी के पांव से कांटा,
निकाल कर देखे,
तुम्हारे दिल की चुभन जरूर कम होगी
Category: Sad Shayri
खुले मैदानों में
दौड़ने दो खुले मैदानों में नन्हे कदमो को..
ज़िन्दगी बहुत भगाती हैं, बचपन गुजरने के बाद..
चले आती है
चले आती है कमरे में दबे पाँव ही, हर दफ़े..
तुम्हारी यादों को दरवाज़ा खटखटाने की भी तमीज़ नहीं
क़ैद करना मुमकिन नहीं
तुम्हे पहली बार होंठों से लगाया तो ये एहसास हुआ…
हर नशे को बोतल में क़ैद करना मुमकिन नहीं
आराम से चलते चलो
जिंदगी एक सफर है आराम से चलते चलो…
उतार चढ़ाव तो आते रहेगे..
बस गियर बदलते रहो…
भरोसे के मोहताज
रिश्ते मौके के नहीं,
भरोसे के मोहताज होते है।
बदल रहा है
धीरे धीरे बहुत कुछ बदल रहा है,
लोग भी…रिश्ते भी…और कभी कभी हम खुद भी
दिल जो इक बार
फिर नहीं बसते वो दिल जो इक बार टूट जायें…
कब्रें कितनी ही सँवार लो लोग जिंदा नहीं हुआ करते….
वक़्त समझ कर
उन्होंने वक़्त समझ कर
.गुज़ार दिया हमको,
और हम उनको ज़िन्दगी समझकर आज भी जी रहे हैं
शक में डाल दिया
इसी बात ने उसे शक में डाल दिया हो शायद..
इतनी मोहब्बत..
उफ्फ… कोई मतलबी हीं होगा