चले आती है

चले आती है कमरे में दबे पाँव ही, हर दफ़े..

तुम्हारी यादों को दरवाज़ा खटखटाने की भी तमीज़ नहीं

दिल जो इक बार

फिर नहीं बसते वो दिल जो इक बार टूट जायें…
कब्रें कितनी ही सँवार लो लोग जिंदा नहीं हुआ करते….