जीने की तमन्ना तो बहुत हैं..!!
पर कोई आता ही नही जिंदगी में,जिंदगी बनकर
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जीने की तमन्ना तो बहुत हैं..!!
पर कोई आता ही नही जिंदगी में,जिंदगी बनकर
इतना ही गुरुर था तो मुकाबला इश्क का करती ऐ बेवफा
हुस्न पर क्या ईतराना जिसकी ओकात ही बिस्तर तक है ।
मेरी मंज़िल मेरी हद । बस तुमसे तुम तक ।।
ये फ़क्र है कि तुम मेरे हो । पर फ़िक्र है कि कब तक ।
ये गुलाबी ठंड, ये हसीन सुबह और उस पर तौबा तुम्हारी इतनी याद, सुनो..
कभी तो तुम भी यूँही हमसे मिलने चले आओ
पता नहीं क्या जादू है ।
” माँ ” के पेरो में जितना झुकता हूँ ।
उतना ही उपर जाता हूँ ।
इक बड़ी जंग लड़ रहा हूँ मैं.
हँस के तुझ से बिछड़ रहा हूँ मैं
उसने मेरी तबियत क्या पूछ ली
मुझसे कसम से मेरी जान में जान सी आ गई
यूँ ही शौक़ है हमारा तो शायरी करना…
किसी की दुखती रग छू लूँ तो यारों माफ़ करना..!
वो आयने जो उन्हें कम पसंद करते है।।
वो जानते है उन्हें हम पसंद करते है ।
भले थे तो किसी ने हाल त़क नहीं पूछा,
बुरे बनते ही देखा,हर तरफ अपने ही चरचे हैं !!!