हर बार हम पर इल्ज़ाम लगा देते हो मोहब्बत का,
कभी खुद से भी पूछा है इतने हसीन क्यों हो।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हर बार हम पर इल्ज़ाम लगा देते हो मोहब्बत का,
कभी खुद से भी पूछा है इतने हसीन क्यों हो।
ज़ुल्फ तेरी है मौज जमना की
तिल नज़िक उसके ज्यूँ सनासी है
ना समेट सकोगे कयामत तक जिसे तुम,
कसम तुम्हारी तुम्हें इतनी मुहब्बत करते हैं
रिश्तोंका ए’तिबार वफ़ाओं का इंतिज़ार
हम भी चराग़ ले के हवाओं में आए हैं
मत कर इतना प्यार पगले…
दिल जब तेरा टूटेगा तो मोहब्बत एक से हुई है नफरत सारी दुनिया से कर बैठेगा..
चलते चलते मेरे कदम अक्सर यही सोंचते हैं..
कि किस ओर जाऊँ जो मुझे तू मिल जाये..
किसी ने पुछा तुम क्या काम करते हो
हमने मुस्कुराकर कर कहा दिल जीतने का काम करते है
ऐ जिन्दगी ना लगने देना इश्क की तलब ..
मै जीना चाहता हुँ भीड़ से अलग..
मेरी दूनियाँ हो तुम
और
मैं अपनी दुनियां में
मगन हूँ..!!
लिखी कुछ शायरी ऐसी तेरे नाम से….
कि जिसने तुम्हे देखा भी नही,
उसने भी तेरी तारीफ कर दी