मुझे किस तरफ जाना है कोई खबर नहीं.. .
साहब..मेरे रास्ते खो गए.. मेरी मोहब्बत की तरह.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुझे किस तरफ जाना है कोई खबर नहीं.. .
साहब..मेरे रास्ते खो गए.. मेरी मोहब्बत की तरह.
मैं वैसा ही हूँ,
हम बदल गए।
अक्सर पूछते है लोग
किसके लिए लिखते हो …??
अक्सर कहता है दिल
“काश कोई होता” …
मेरे जख्मो पर उसने मरहम लगाया ये कहकर
जल्दी ठीक हो जाओ अभी जख्म और देने है
कभी अपनी हथेली पर.. केवल दस मिनट के लिए बर्फ का टुकड़ा रखियेगा..
आपको हनुमनथप्पा के साहस का अनुमान हो जायेगा…।”
मुझे भी.. शब्दवीर बनने का शौक है, लेकिन आज.. मैं.. नि:शब्द हूँ…।
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
इसकी आदत भी आदमी सी है.
जब भी लड़खड़ाया हूँ, मैं निकल के मैखाने से,
तेरी बाँहों के सहारों की बहुत याद आई
मेरी खामोशी से किसी को कोई फर्क नही पडता,
और शिकायत में दो लफ़्ज कह दूं तो वो चुभ जाते हैं।
तू मुझे नवाजता है,
ये तो तेरी रहमत है मालिक;,,
वरना तेरी रहमत के काबिल,
मेरी इबादत कहा
उस को रुख़्सत तो किया था मुझे मालूम न था
सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला