वो एक ख़त

वो एक ख़त जो तूने कभी मुझे लिखा ही नहीं…?
देख मै हर रोज़ बैठ कर उसका जवाब लिखता हूँ….

बस दिलों को

बस दिलों को जीतना ही
मकसद रखना दोस्तों,

वरना दुनिया जीतकर तो
सिकंदर भी खाली हाथ ही गया…..

भूल न जाऊं

भूल न जाऊं माँगना उसे हर नमाज़ के बाद,
यही सोच कर हमने नाम उसका दुआ रक्खा है।