पहचान लेते हैं!

जब भी उनकी गली से गुज़रता हूँ;
मेरी आंखें एक दस्तक दे देती हैं;
दुःख ये नहीं, वो दरवाजा बंद कर देते हैं;
खुशी ये है, वो मुझे अब भी पहचान लेते हैं!

मौज-ए-ताज़ा

अजीब नशा है होशियार रहना चाहता हूँ

मैं उस के ख़्वाब में बेदार रहना चाहता हूँ

ये मौज-ए-ताज़ा मेरी तिश्नगी का वहम सही

मैं इस सराब में सरशार रहना चाहता हूँ।