ना चाहते हुये भी साथ छोड़ना पड़ता है…
जनाब,मज़बूरी मोहब्बत से ज्यादा ताकतवर होती है..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ना चाहते हुये भी साथ छोड़ना पड़ता है…
जनाब,मज़बूरी मोहब्बत से ज्यादा ताकतवर होती है..!!
कुछ जख्म हैं कि दिखते नहीं,
मगर ये मत समझिए कि दुखते नहीं|
डाकिये की शिक़ायत करने जा रहा हूँ मैं,
मेरे पते की ख़ुशियां कहीं और दे आया है|
देखिये अब क्या मुकाम आता है साहेब,
सूखे पत्ते को इश्क हुआ है बहती हवा से..
शायरी रूह में तहलील नहीं हो पाती
हमसे जज्बात की तशकील नहीं हो पाती
हम मुलाजिम हैं मगर थोडी अना रखते हैं
हमसे हर हुक्म की तामील नहीं हो पाती
आसमां छीन लिया करता है सारा पानी
आंख भरती है मगर झील नहीं हो पाती
रात भर नींद के सहरा में भटकता हूँ मगर
सुब्ह तक ख्वाब की तामील नहीं हो पाती
रात ही के किसी हिस्से में बिखर जाता हूँ
यास उम्मीद में तब्दील नहीं हो पाती |
तुम ने पढ़ा होगा गालिब,
फ़राज़ और मीर को..
हमने तो साहब जिंदगी को पढ़ा है..
जख़्म खुद ही बता देंगे तीर
किसने मारा है ……
ये हमने कब कहा कि ये काम
तुम्हारा है |
इतना भी दर्द ना दे ऐ ज़िन्दगी
भरोसा ही किया था..कोई कत्ल तो नही ..
बात-बात पे यूँ रुलाया न कर
ऐ-ज़िन्दगी..
जरुरी नहीं सबकी ज़िन्दगी में कोई
चुप कराने वाला हो..
झ़ुठा अपनापन तो हर कोई जताता है…
वो अपना ही क्या जो हरपल सताता है…
यकीन न करना हर किसी पे..
क्यों की करीब है कितना कोई ये तो वक़्त ही बताता है…