ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू,
हम किससे करें बात कोई बोलता ही नहीं…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू,
हम किससे करें बात कोई बोलता ही नहीं…
बड़ी हसरत से सर पटक पटक के गुजर गई,
कल शाम मेरे शहर से आंधी,
वो पेड़ आज भी मुस्कुरा रहें हैं,
जिन में हुनर था थोडा झुक जाने का ।।।
मै फिर से कर लुँगा
मोहब्बत तुमसे……
एक बात तो बताओ इस बार वफा
कितने दिन तक करोगी?
चलो यादों का लिहाफ़
ओढ़ के सो जाए …
शायद कोई
खूबसूरत ख्वाब
अब भी जिंदा हो …
जो देखने में बहुत ही क़रीब लगता था
उसी के बारे में सोचा तो फासला बहुत निकला|
यह तो नहीं कहता कि इन्साफ ही करो..
झूठी भी तसल्ली हो तो जीता ही रहूँगा..!
कुछ इस तरह उस फकीर ने जिन्दगी की मिसाल दी ”
मुठ्ठी में धूल ली और
हवा में उछाल
दी…!!
छोटी सी जिंदगी है ,
हर बात में खुश रहो।
जो पास में ना हो ,
उनकी आवाज़ में खुश रहो।
कोई रूठा हो तुमसे ,
उसके इस अंदाज़ में खुश रहो।
जो लौट के नही आने वाले है,
उन लम्हो कि याद में खुश रहो।
कल किसने देखा है ,
अपने आज में खुश रहो।
खुशियों का इन्तेजार किसलिए ,
दुसरो कि मुस्कान में खुश रहो।
क्यूँ तड़पते हो हर पल किसी के साथ को ,
कभी तो अपने आप में खुश रहो।
छोटी सी जिंदगी है ,
हर हाल में खुश रहो।
जिंदगी में बेशक हर मौके का फायदा उठाओ !!
मगर, किसी के भरोसे का फ़ायदा नहीं !!
खाली हाथ लेके जब घर जाता हूँ मैं
मुस्कुरा देते हैं बच्चे और फिर से मर जाता हूँ मैं |